प्रधानमंत्री मोदी ने संसद का सत्र शुरू होने से पहले 18 मिनट से लंबा भाषण दिया। संसद के भीतर नहीं बल्कि मीडिया के कैमरों के सामने। जब प्रधानंमत्री के पास इतना समय है कि बिना सवाल के बोलते रहें तो वे संसद के भीतर सांसदों के सवालों का जवाब क्यों नहीं देते हैं। यह कैसा तर्क है कि संसद के भीतर सवाल करने से सेना का मनोबल गिरता है? जबकि सेना के ही अधिकारी अपनी कमियों की बात पब्लिक में कर रहे हैं। यही नहीं प्रधानमंत्री ने 2014 के पहले की महंगाई का ज़िक्र किया है, हमने बताया है कि इस समय की महंगाई ने लोगों का क्या हाल कर दिया है। फर्क यही है कि आज का उन्हें नहीं दिखता, जब भी दिखता है सत्तर साल पहले का दिखता है या 2014 से पहले का। हमारा वीडियो देखिएगा।
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