सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwad Yatra) पर निकलते हैं. इस साल कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी. कांवड़िया उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री के हिंदू तीर्थ स्थानों में गंगा नदी के पवित्र जल लाते हैं और शिवलिमग पर अर्पित करते हैं.
इसे अपने कंधों पर इस जल को लेकर सैकड़ों मील की यात्रा करते हैं और अपने स्थानीय शिव मंदिरों में शिव पर अर्पित करते हैं. कई भक्त बागपत जिले के पुरा महादेव मंदिर और मेरठ में औघड़नाथ मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, देवघर में बैद्यनाथ मंदिर आदि जैसे विशिष्ट मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं.
1980 के दशक के उत्तरार्ध तक यह यात्रा कुछ संत और पुराने भक्त ही कांवडड यात्रा पर जाते थे. आज, विशेष रूप से हरिद्वार की कांवड़ तीर्थयात्रा भारत की सबसे बड़ी वार्षिक धार्मिक यात्रा बन गई है. जिसमें 2010 और 2011 के आयोजनों में अनुमानित 12 मिलियन श्रद्धालु शामिल हुए थे. श्रद्धालु दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, बिहार और झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश से आते हैं.
इस दौरान सरकार द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. साथ ही दिल्ली-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-58) पर यातायात को डायवर्ट कर दिया जाता है.