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क्यों लाठी खा रहे हैं युवा, सरकारी योजनाओं से क्यों नहीं हो रहा रोज़गार?

तमिलनाडु बिहार से कहीं विकसित राज्य है। वहां 2005 के बाद पांच पांच मुख्यमंत्री हुए, दो दलों की सरकार बारी-बारी से बनी. दूसरी तरफ बिहार में 2005 से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद भी नीतीश कुमार खाते में पैसे डाल कर और उद्यम व रोज़गार योजनाओं के नाम पर पैसे बांट कर चुनाव जीत रहे हैं। इनसे फौरी लाभ मिल जाता है लेकिन क्या बिहार में रोज़गार पैदा हो सकता? रोज़गार के नाम पर बिहार सरकरा ने कई हज़ार करोड़ रुपये बांट दिए। अगर उससे कोई उद्यमी निकला है, रोज़गार पैदा हुआ है तो इस चुनाव में उसे विकास का चेहरा बनाना चाहिए न कि उद्योग के नाम पर प्रोजेक्ट लाँच कर भटकाने का काम करना चाहिए। वीडियो देखिएगा।

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