Uncategorized

ये कौन ऋषि है जो पूरी गंगा जी को पी गए | जह्नु ऋषि और माँ गंगा की कथा

आज गंगा सप्तमी है। ये पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर होता है। पुराणों में इस दिन को गंगा का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है, लेकिन गंगा धरती पर तो पहले ही आ चुकी थी। इस तिथि पर तो जह्नु ऋषि के कान से प्रकट हुई थी, इसलिए इसे जाह्नवी जयंती या प्राकट्योत्सव भी कहते हैं। गंगा सप्तमी के बारे में पुराणों में अलग-अलग कथाएं और महत्व बताया गया है। जानते हैं इस पर्व के बारे में क्या लिख है नारद, पद्म और ब्रह्मवैवर्त पुराण में… ब्रह्मवैवर्त पुराण: देवताओं के शरीर से निकली गंगा जब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति की। तब शिवजी ने भी संगीत यंत्रों के साथ विशेष धुन गाई। जिससे देवताओं के आंखों और शरीर से पानी निकलने लगा। इस कारण पूरे वैकुंठ लोक में पानी भर गया। इसी पानी को गंगा कहा गया। ये दैवीय जल नदी के रूप में पृथ्वी पर आया तो जह्नु ऋषि की तपस्या में बाधा हुई। तब उन्होंने से इसे पी लिया। बाद में देवताओं के कहने पर अपने दाहिने कान से छोड़ दिया। तब से गंगा जह्नु ऋषि की बेटी के रूप में प्रकट हुई। इस कारण उनका नाम जह्नवी हुआ। नारद पुराण: गंगा व्रत से सात पीढ़ियों का मोक्ष इस पुराण में कहा गया है कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर राजा जह्नु ने गुस्से में गंगाजी को पी लिया था। इसके बाद अपने दाहिने कान के छिद्र से उनका त्याग किया था। इस तिथि पर गंगा व्रत करना चाहिए। इस व्रत में सुबह जल्दी उठकर नहाएं। फिर साफ पानी में हल्दी, मेहंदी, इत्र और अन्य पूजन सामग्री के साथ फूल और अक्षत से गंगाजी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गंगाजल से भरे या साफ पानी में कुछ बूंद गंगाजल डालकर एक हजार मटके भरकर दान करना चाहिए। इस तरह व्रत किया जाए तो सात पीढ़ियों का मोक्ष हो जाता है और पितरों को तृप्ति मिल जाती है। पदम् पुराण: पितरों के तर्पण का विधान इस पुराण के पाताल खंड में कहा गया है कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही दुर्लभ और अत्यंत पुण्य फलदायी होता है। कथा के मुताबिक राजा जह्नु ने इस तिथि पर गुस्से में आकर गंगाजी को पी लिया था। फिर दाहिने कान के छेद से उन्हें बाहर निकाला था। इस तरह जह्नु की बेटी होने के कारण गंगा को जाह्नवी कहा गया है। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा में देवताओं और पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने वाले पर देवी गंगा की कृपा रहती है। इस दिन गंगा स्नान करने के बाद सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जो लोग दूर रहकर भी इस तिथि पर सुबह, दोपहर और शाम को ‘गंगा-गंगा-गंगा बोलकर प्रणाम करते हैं उनके तीन जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं। जो इंसान हजारों किलोमीटर दूर से भी देवी गंगा नदी का ध्यान करता है उसे सद्गति मिलती है। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा के दर्शन विशेष दुर्लभ है। भगवान विष्णु और ब्राह्मणों की कृपा से ऐसा दिन मिल पाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!