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किस-किस जमीन पर कितना बढ़ा रेट

1 अगस्त 2025 से शहर में नया सर्किल रेट लागू हो गया है।

संदीप तिवारी, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अब मकान, दुकान या जमीन खरीदना पहले से महंगा हो गया है, क्योंकि 1 अगस्त 2025 से शहर में नया सर्किल रेट लागू हो गया है। यानी अब किसी भी प्रॉपर्टी की सरकारी कीमत नए हिसाब से तय की जाएगी। सर्किल रेट वो न्यूनतम रेट होता है, जिस पर कोई भी जमीन, मकान या दुकान रजिस्ट्री होती है। इस बार करीब 10 साल बाद सर्किल रेट में बड़ा बदलाव किया गया है। अब सिर्फ कॉलोनी का नाम देखकर रेट तय नहीं होगा, बल्कि इलाके की सड़क का नाम, आसपास किस काम के लिए ज़मीन का उपयोग हो रहा है, और वहां कौन-कौन सी गतिविधियां हो रही हैं, ये सब चीजें प्रॉपर्टी के दाम तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

किस-किस जमीन पर कितना बढ़ा रेट

प्रशासन ने इस बार अलग-अलग प्रकार की जमीन और संपत्तियों पर अलग-अलग रेट बढ़ाया है। कृषि भूमि (खेती वाली जमीन) पर 15% बढ़ोतरी, व्यावसायिक संपत्ति (दुकान, ऑफिस आदि) पर 25% बढ़ोतरी, बहुमंजिला इमारतों पर 20% तक रेट बढ़ा, दुकानें, गोदाम और ऑफिस की कीमत औसतन 20% तक बढ़ी, कुछ खास जगहों पर जहां पहले कम रेट था, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियां ज़्यादा थीं, वहां 40% तक रेट बढ़ाया गया है।

कौन-कौन सी सड़कें सबसे महंगी हुईं

शहर की 67 प्रमुख सड़कों को चिह्नित कर उनके आसपास के इलाके के लिए अलग रेट तय किया गया है। गोमती नगर के विराज खंड और विभूति खंड की सड़कें सबसे महंगी मानी गई हैं। यहां रेट 77,000 रुपये प्रति वर्गमीटर तक कर दिया गया है। ये इलाके मंत्री आवास, वन अवध मॉल, लोहिया पथ और हयात होटल जैसी पॉश जगहों के नजदीक हैं।

बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कैसे लगेगी?

अब तक प्राइवेट कॉलोनियों जैसे अंसल, एमार आदि में सर्किल रेट काफी कम था, लेकिन बिल्डर वहां प्रॉपर्टी को बाजार मूल्य से कई गुना महंगे दाम पर बेचते थे। अब इन कॉलोनियों का सर्किल रेट 18,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दिया गया है। इससे दो फायदे होंगे। पहला रजिस्ट्री की कीमत बाजार रेट के करीब पहुंचेगी। वहीं, दूसरा टैक्स चोरी पर रोक लगेगी और सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा

अगर कोई ज़मीन के पास दुकानें हैं तो…

यदि किसी गैर-कृषि जमीन यानी जो खेती के लिए नहीं है, के आसपास कोई व्यावसायिक गतिविधि चल रही है। जैसे दुकानें, होटल, ऑफिस तो उस जमीन का रेट 20% ज्यादा माना जाएगा। रजिस्ट्री करते समय भी उसका मूल्य अकृषि दर से 50% बढ़ाकर तय होगा।

पारिवारिक संपत्ति देने में राहत

अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन या मकान अपने बेटे, बेटी, बहू, दामाद, भाई-बहन या माता-पिता को दान करना चाहता है, तो अब उस पर सिर्फ 5,000 रुपये स्टांप शुल्क देना होगा। पहले इस पर भारी-भरकम शुल्क लगता था।

अब रजिस्ट्री में तकनीक का सहारा

एडीएम एफआर राकेश कुमार सिंह के अनुसार, अब रजिस्ट्री प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है। इसके लिए दो QR कोड जारी किए गए हैं। पहला कोड- रजिस्ट्री प्रक्रिया, स्टांप शुल्क और अफसरों की जानकारी देगा। वहीं, दूसरा कोड- रजिस्ट्री दफ्तर की लोकेशन और नक्शा दिखाएगा।

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