
US-China Trade War: अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर को लेकर अगर फाइनेंशियली दूरी आती है, तो चरम स्थिति में 800 अरब डॉलर तक का निवेश बाहर निकल सकता है.
US-China Trade War: ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि बढ़ते टैरिफ को लेकर दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और अमेरिका के बीच फासला बढ़ता जा रहा है. अगर दोनों के बीच फाइनेंशियल रिलेशन में डिकपलिंग यानी कि अलगाव होता है, तो इसके चलते हो सकता है कि आने वाले समय में अमेरिकी निवेशकों को लगभग 800 बिलियन डॉलर का चीनी निवेश बेचने के लिए मजबूर होना पड़े.
चीनी कंपनियों के अमेरिका से डीलिस्ट होने की आशंका
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर ट्रेड वॉर गहराता जा रहा है. ऐसे में अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड जैसी चीनी कंपनियों के संभावित डीलिस्टिंग का खतरा भी बढ़ गया है. गोल्डमैन ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिकी निवेशकों के पास अभी लगभग 250 बिलियन डॉलर मूल्य के चीनी एडीआर हैं, जो टोटल मार्केट वैल्यू का 26 परसेंट है.
वहीं, हांगकांग के शेयरों में उनका निवेश 522 बिलियन डॉलर है, जो टोटल मार्केट वैल्यू का 16 परसेंट है. उनके पास चीन के ऑनशोर इक्विटीज का लगभग 0.5 परसेंट हिस्सा है, जिसे ए शेयर के रूप में जाना जाता है. ऐसे में अगर चीनी कंपनियां अमेरिका से डीलिस्ट होती हैं, तो अमेरिकी निवेशक हांगकांग में ट्रेड नहीं कर पाएंगे. इससे MSCI China Index में 4 परसेंट और ADRs में 9 परसेंट तक की गिरावट आ सकती है. गोल्डमैन ने अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा चीनी फर्मों को बाहर निकालने की बात पर चिंता जाहिर की है.
चीन भी कर सकता है पलटवार
इस पर चीन भी पलटवार कर सकता है. हालात बिगड़ने पर चीनी निवेशकों को भी मजबूरन अपने अमेरिकी फाइनेंशियल एसेट्स बेचने पड़ सकते हैं. इसकी वैल्यू 1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो सकती है. इसमें से लगभग 370 बिलियन अमेरिकी डॉलर इक्विटी में और 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बॉन्ड में लगा हुआ है.
गोल्डमैन का अनुमान है कि अमेरिकी निवेशकों को अपने ए शेयर बेचने में पूरे एक दिन का वक्त लग सकता है, जबकि हांगकांग के शेयरों और एडीआर से बाहर निकलने में क्रमशः 119 और 97 दिन लग सकते हैं.